नव निधियाँ

मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। मानव जीवन में सुख, सम्पत्ति, यश, वैभव, ऐश्वर्य आदि की उपलब्धि मानव की मेहनत से कहीं अधिक भाग्य और प्रारब्ध पर निर्भर करती है। प्रायः हम देखते हैं कि कुछ लोगों को काफी अल्प प्रयास करने पर भी काफी कुछ मिल जाता है तो कई ऐसे भी लोग देखने को मिल जायेंगे, जो काफी मेहनत करने के बाद भी अपनी गुजर बसर बड़ी ही मुश्किल से कर पाते हैं। मानव जीवन में तीन गुणों का प्रभाव होता है - सत्व गुण, रज गुण और तम गुण और इन तीनों गुणों के आधार पर ही मानव के भाग्य और प्रारब्ध का निर्माण होता है जिसके अनुसार ही मानव को अपने जीवन काल में सुख दुःख सम्पत्ति, यश, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही इनके उपयोग उपभोग की अवधि का भी निर्धारण होता है। सुख सम्पत्ति के उपयोग और उपभोग की प्राप्ति और उसकी भोग अवधि को निधियों के रूप में हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।