भाई दूज (यम द्वितीया)
मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। रक्षा बंधन के अतिरिक्त हिन्दू धर्म का भाई बहनों का एक अति महत्वपूर्ण पर्व भाई दूज मनाया जाता है, जोकि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि अर्थात दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। भाई के प्रति बहन के स्नेह की अभिव्यक्ति के इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था, उस दिन कई जीवों को नारकीय यातनाओं से मुक्ति मिली होकर वे सभी पाप मुक्त होकर समस्त बंधनों से मुक्ति पा गए थे और पूर्णतः तृप्त हो गए थे। यमलोक की यातनाओं से मुक्ति के कारण यह पर्व यम द्वितीया के नाम से विख्यात हो गया, ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के हाथ का बना उत्तम भोजन करता है, वह ईहलोक में समस्त सुख और ऐश्वर्य प्राप्त करता है साथ ही यमलोक की नारकीय यातनाओं से भी मुक्ति पा जाता है।
भगवान सूर्य नारायण को उनकी पत्नी संज्ञा से दो संतान एक पुत्र यमराज और एक पुत्री यमुना तथा पत्नी छाया से भी दो संतान एक पुत्र शनिदेव और एक पुत्री ताप्ती थी। यमराज और यमुना दोनों भाई बहन में अत्यंत ही प्रेम और स्नेह था किन्तु दोनों के स्वभाव एकदम विपरीत थे। यमुना का स्वभाव अत्यंत ही निर्मल था तो यमराज अति कठोर स्वभाव के। यमराज अपनी यमपुरी में पापी जीवों को अनेकानेक प्रकार की यातनाऐं देकर उन्हें दंडित करते थे, जिससे यमुना को बहुत दुःख होता था इस कारण वे गोलोक में निवास करने लगी थी। यमुना अपने भाई यमराज को अक्सर मिलने के लिए बुलाया करती थी लेकिन यमराज अपने कार्यों में इतना व्यस्त रहते थे कि वे सदैव ही टाल दिया करते थे। यमुना यमराज के इस व्यवहार से नाराज रहती थी।
एक बार यमुना ने यमराज से अपने घर भोजन करने का आग्रह किया तो यमराज उसे टाल नहीं सके, किन्तु बहन के घर जाने से पहले बहन की प्रसन्नता के लिए यमपुरी के समस्त नरक निवासियों को उन्होंने मुक्त कर दिया और बहन यमुना के घर जा पहुंचे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन अचानक यमराज को अपने घर आया देख यमुना हर्षित हो गई और उन्होंने प्रसन्नचित्त होकर अपने भाई का स्वागत सत्कार कर उन्हें भोजन कराया फिर तिलक लगाकर नारियल दिया। यमराज ने जब नारियल के बारे में पूछा तो यमुना बोली यह आपको सदैव मेरी याद दिलाता रहेगा। बहन का स्नेह देखकर यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो यमुना बोली कि आप मुझे वचन दो कि प्रत्येक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आप मेरे घर भोजन करने आयेंगे और इस दिन मेरी तरह जो भी बहन अपने भाई को भोजन कराये, उन्हें आपका भय नहीं हो। यमराज बोले तथास्तु ऐसा ही होगा। तब से ही यह परम्परा चली आ रही है।
ऐसी भी मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाई बहन एक साथ में यमुना में स्नान करते हैं और बहन अपने भाई को भोजन कराती है तो दोनों के जीवन में खुशहाली बनी रहती है और लम्बी आयु का वरदान भी मिलता है तथा दोनों को यम का भय नहीं रहता है। अकाल मृत्यु और दुर्घटना की आशंका भी नहीं रहती है। इस दिन यमराज और यमुना जी का पूजन किया जाता है। संध्याकाल को बहनें यमराज के नाम का एक चौमुखा दीपक घर के बाहर जला कर रखती हैं। भाई दूज पर बहनें अपने भाई को भोजन करवाकर गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े के उच्चारण के साथ टीका करके नारियल देती है और भाई अपनी बहन को अपनी सामर्थ्य अनुसार भेंट उपहार आदि प्रदान करता है।
एक अन्य मान्यता अनुसार नरकासुर वध के पश्चात भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने इसी दिन गए थे। तब बहन सुभद्रा ने उन्हें सत्कारपूर्वक भोजन कराया और उनके मस्तक पर तिलक लगाया था, तब से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि सुभद्रा की तरह भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर सत्कार करने से भाई बहन के मध्य प्रेम बढ़ता है। इस दिन स्वर्ग में धर्मराज जी के कार्य व्यवहार आदि का लेखा जोखा रखने वाले चित्रगुप्त की भी पूजा करने का विधान है, तो कारोबारी लोग इस दिन अपने बही खाते कलम दवात का भी पूजन करते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाये जाने वाले इस पर्व को सम्पूर्ण देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, बंगाल में इसे भाई फोटा के नाम से मनाया जाता है तो महाराष्ट्र में भाऊ बीज के नाम से। बिहार और झारखण्ड में यह पर्व गोधन कुटाई के नाम से जाना जाता है तो दक्षिण भारत में यम द्वितीया के नाम से यह पर्व जाना जाता है। दीपावली का पांच दिवसीय पर्व इस दिन पूर्ण हो जाता है। कई स्थानों पर भाई दूज का पर्व होली के दो दिनों बाद आने वाली दूज को इन्हीं मान्यताओं के साथ मनाया जाता है।
आज दीपावली कार्तिक अमावस्या का दिन है और मेरी छोटी बहन का तिथिनुसार जन्मदिवस भी है, इस लेख पर जो छायाचित्र लगाया है, वह भी हम दोनों भाई बहन के बचपन का चित्र है, आज का यह भाई दूज का लेख छोटी बहन को समर्पित करते हुवे उसे जन्मदिवस की बधाई और भाईदूज की अग्रिम शुभकामना प्रेषित करता हूँ, तथा आप सभी को दीपावली और भाई दूज के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामना - दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इन्दौर।
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