मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। हमने अपने धर्मग्रंथों में, धार्मिक कथानकों में देव, दानव, सुर, असुर, मनुष्य, जीव जंतु सहित कई प्राकृतिक वनस्पति, पेड़, पौधे, पर्वत, नदी, सागर इत्यादि को श्रापित होने और उनके श्रापोद्धार के बारे में पढ़ा और सुना है। आज हम इस लेख में ऐसे ही एक श्राप और उसके श्रापोद्धार के विषय में चर्चा कर रहे हैं और जिस श्राप के विषय में चर्चा कर रहे हैं वह और किसी को नहीं स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु जी के प्रमुख पार्षद जय और विजय को सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार द्वारा उन्हें भगवान के दर्शन लिए जाने से रोकने के कारण दिया गया था। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्माजी द्वारा सप्तऋषियों की उत्पत्ति की, जिनमें से एक महर्षि मरीचि हैं। महर्षि मरीचि को देवी कला से एक पुत्र उत्पन्न हुवे महर्षि कश्चप और इन्हीं महर्षि कश्चप की 17 पत्नियों से समस्त मानव जातियों की उत्पत्ति हुई है, ऐसी मान्यता है। महर्षि कश्चप की पत्नी अदिति से वरुण का जन्म हुआ तथा वरुण और उनकी पत्नी स्तुत के पुत्र हुवे कलि और वैद्य। जय ...