सच्चा श्राद्ध - जीवित माता पिता की सेवा
मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। अभी श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और इसी कालावधि में अभी कुछ दिनों पूर्व समाचार पत्र में कुछ खबरें पढ़ी, जिससे दुःख भी हुआ साथ ही मन भी काफी विचलित हुआ इसलिए पितृपक्ष में पितरों को समर्पित इस 146 वॉँ लेख की प्रस्तुति का कारण बना। एक खबर कुछ इस प्रकार की थी जिसमें अपने मृत परिजन के अंतिम संस्कार में आने के लिए उनके पुत्र को समय नहीं मिला और उसने अपने पड़ोसियों को ही अंत्येष्टि करने को कह दिया, तब उन पड़ोसियों ने उनका अंतिम संस्कार संपन्न किया, वही दूसरी खबर के अनुसार अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने के बाद पुत्र ने उनकी कोई खैर खबर लेना उचित नहीं समझा, बाद में माता पिता की मृत्यु भी हो गई, वह तब भी नहीं आया। कालांतर में कुछ परेशानी आने पर ज्योतिष के समक्ष अपनी परेशानी के कारण और समाधान हेतु गया तो ज्ञात हुआ कि पितृदोष के कारण परेशानियाँ आ रही है, तब वह उस वृद्धाश्रम पहुंचा जहाँ मता पिता को छोड़ा था और वहाँ उसने अपने मृत माता पिता की अस्थियाँ अथवा कोई अन्य निशानी की मांग...