गंगा दशहरा

वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र में गंगा नदी का स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन हुआ था, उस दिन दस योग अर्थात ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर करण, आनंद योग व्यतिपात कन्या का चंद्र, वृषभ का सूर्य आदि विद्यमान होने के कारण इस दिन को गंगा दशहरा भी कहा जाता है। इसी प्रकार से स्कन्द पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को संवत्सरमुखी माना गया होकर इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान, तर्पण आदि करने से दस पापों से मुक्ति होना उल्लेखित है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्त्व है, यदि कोई मनुष्य वहां तक जाने में असमर्थ हो तो नजदीक किसी भी नदी, सरोवर अथवा अपने घर पर भी पवित्र गंगा जी का ध्यान करते हुवे अथवा साधारण जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। घर में गंगाजली को सम्मुख रखकर भी पूजा आराधना की जा सकती है।