महाभारत - भीष्म पितामह एवं भगवान श्री कृष्ण का संवाद
मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इन्दौर का सादर अभिनन्दन। हमारे धर्मग्रंथों एवं हमारे ऋषि मुनि आचार्य आदि और स्वयं भगवान भी यही कहते आएं हैं कि मनुष्य तुम केवल कर्म करो, फल की इच्छा मत करो, क्योंकि फल तो मिलना ही है। हमें मनुष्य का जीवन मिला है, हमारे इस मनुष्य जीवन में हमारे आने से लेकर जाने तक और इसके मध्य के भी समस्त कार्यकलाप की स्क्रिप्ट ईश्वर द्वारा पहले से ही बना कर रखी हुई है, हमें तो केवल कर्म करना है। हमें अपने जीवनकाल में अपने प्रारब्ध के अनुसार जो कुछ भी भोगना है वह भी निश्चित है। हमारे सम्पूर्ण जीवनकाल में घटने वाली प्रत्येक घटना भी निश्चित है, आज अपनी इस बेबसाईट के 155 वें लेख में हम इसी पर चिंतन कर रहे हैं। जहाँ घटनाओं का घटित होना निश्चित है, उनका तरीका भी निश्चित है, वहीं उसके परिणामों को भोगना भी लगभग निश्चित ही है।