अक्षय तृतीया (आखा तीज)

बैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे आखा तीज या अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय का अर्थ है, जिसका कभी क्षय नहीं हो जो स्थाई रहे। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किया हुआ कोई भी पुण्य कार्य, दान, पूजन, हवन आदि अक्षय फल प्रदान करता है। किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए यह दिन अत्यंत ही शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन बगैर मुहूर्त के भी कार्य संपन्न किया जा सकता है, क्योंकि यह एक स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। वैवाहिक कार्यक्रम इस दिन इस मान्यता के साथ किये जाते हैं कि पति पत्नी में प्रेम और स्नेह अक्षय रहे, इसी प्रकार इस दिन पितृकार्य भी इस आशय से किये जाते हैं कि पितृगण को अक्षय फल की प्राप्ति हो। समृद्धि के लिए इस दिन स्वर्ण खरीदने की भी परम्परा है। यह भी मान्यता है कि इस दिन मनुष्य अपने या अपने स्वजनों द्वारा किये गए जाने अनजाने अपराधों के बारे में सच्चे मन से क्षमा प्रार्थना भगवान से करे तो भगवान उन अपराधों को क्षमा कर उसे सदगुण प्रदान कर देते हैं। इस दिन अपने दुर्गुणों को सदैव के लिए प्रभु के चरणों में अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान प्राप्त करने की भी परंपरा ...