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Showing posts from January, 2025

सागर मंथन से प्राप्त अनमोल चौदह रत्न

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इन्दौर का सादर अभिनन्दन। इस समय तीर्थराज प्रयागराज में महाकुम्भ का पावन अवसर है,  सागर मंथन के समय पर जब भगवान धन्वन्तरि जी अमृत कलश लेकर प्रकट हुवे थे, उस समय अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों में संघर्ष प्रारम्भ हुआ, तब अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे छलक गई और वे बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जाकर गिरी थीं, इसी कारण से यहाँ कुम्भ परम्परा प्रारम्भ हुई और इस कालावधि में इन स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का काफी पुण्य बताया गया है। इस 150 वें लेख में हम सागर मंथन से प्राप्त अमृत सहित सभी चौदह रत्नों के विषय में चर्चा करेंगे। हमारे धर्म ग्रंथो में सागर मंथन का उल्लेख मिलता है, उस सम्बन्ध में कहा जाता है कि एक बार महर्षि दुर्वासा जी के  श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन (ऐश्वर्य, धन, वैभव हीन आदि)   हो गया था और देवराज इन्द्र सहित समस्त देवता शक्तिहीन हो गए थे। उस परिस्थिति  में समस्त देवता भगवान श्री विष्णु जी की शरण में गए। भगवान श्री विष्णु जी ने देवताओं को ...

वीरांगना महारानी ताराबाई भोंसले

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। हमारे भारत देश का इतिहास वीरांगनाओं के साहस और वीरगाथाओं से भरा हुआ है। भारतीय वीरांगनाओं ने समय समय पर अपनी वीरता का लौह मनवाया है और अपने वीरोचित स्वभाव अनुसार चुनौतियों का सदैव ही डटकर सामना कर समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया है। ऐसी ही वीरता की प्रतीक रही है महारानी ताराबाई भोंसले, जिनकी कहानी प्रत्येक महिला को ज्ञात होना चाहिये। आज का यह 149 वां लेख उन्हीं वीरांगना महारानी ताराबाई भोंसले को समर्पित है। छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापति हम्बीर राव जी मोहिते की सुपुत्री ताराबाई का जन्म 1675 में हुआ होकर दिनांक 9 दिसंबर 1761 को उनका निधन हुआ।  छत्रपति शिवाजी महाराज के छोटे पुत्र राजाराम महाराज की धर्मपत्नी महारानी ताराबाई ने अपने पति के निधन के पश्चात् मराठा साम्राज्य की संरक्षिका बनकर चार वर्षीय बालक शिवाजी द्वितीय को मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित किया और संरक्षिका के रूप में मराठा साम्राज्य का संचालन करते हुवे मुग़ल सम्राट औरंगजेब से लगातार सात वर्षों तक टक्कर लेते हुवे कई स...

मौनी अमावस्या

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इन्दौर का सादर अभिनन्दन। पवित्र माघ मास की अमावस्या का दिन अत्यंत ही दुर्लभ दिवस माना जाता है। कार्तिक मास के समान ही मान्यता वाला पवित्र माघ मास अति पुण्यदायी माना जाता है, इस मास में भी कार्तिक से समान ही स्नानादि होता है। इस माह की अमावस्या को माघ अमावस्या, मौनी अमावस्या अथवा दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। पौराणिक कथानक के अनुसार इस दिन प्रयागराज पर संगम पर स्वयं देवतागण भी पधारते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है और इसी कारण से गंगा तट पर भक्तजन एक मास तक कुटिया बनाकर कल्पवास भी करते हैं। नाम के अनुरूप ही मौनी अमावस्या को मौन व्रत का पालन भी किया जाता है। वैसे भी हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि अपने होठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है उससे कई गुना अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि नाम जपने से मिलता है, इसलिए इस दिन मौन रहें और अगर संभव नहीं हो तो कम से कम  अपने मुख से किसी प्रकार का कटु शब्द नहीं निकालें। हमारा यह 148 वां लेख रूपी पुष्प पावन मौनी अमावस्या को समर्...

नेताजी सुभाषचंद्र बोस

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। हमारा देश जिस समय स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत था, उस समय काफी देशभक्त अपने अपने स्तर से आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान प्रदान कर रहे थे, इस लड़ाई में कई देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति प्रदान कर दी थी, कई देशभक्त गुमनामी के अंधेरों में चले गए, तो कई याद भी रहे। आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन कर अत्यंत ही दबंगता से भाग लेने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम हमारे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है, जिन्होंने आजाद हिन्द फ़ौज में भर्ती होने आये समस्त युवक युवतियों को सम्बोधित करते हुवे नारा दिया था कि "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा"। उनके द्वारा दिया गया 'जय हिन्द" का नारा हमारे भारत देश का राष्ट्रीय नारा बन गया।यह 147 वाँ लेख रूपी पुष्प नेताजी के जन्मदिवस के अवसर पर उन्हीं को समर्पित है। उड़ीसा में कटक के एक सम्पन्न बंगाली परिवार में दिनांक 23 जनवरी 1897 को नेताजी का जन्म हुआ था, नेताजी के पिता श्री जानकीनाथ जी बोस कटक के प्रसिद्ध वकील थे।  नेताजी की माता का नाम...