धन तेरस (धन त्रयोदशी)


कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस या धन त्रयोदशी कहा जाता है। यमराज जी और कुबेर देव  की पूजा तो इस दिन की ही जाती है किन्तु समुद्र मंथन के समय समुद्र से अमृत कलश लेकर भगवान धन्वन्तरि जी के प्रकट होने के कारण इस दिन को भगवान धन्वन्तरि जी के प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि जी देवताओं के चिकित्सक भी माने जाते हैं इस कारण इन्हें चिकित्सा के देवता भी कहा जाता है और समस्त चिकित्स्कों के लिए धन तेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। भारत सरकार ने भी धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। भगवान महावीर स्वामी जी द्वारा इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने हेतु योग निरोध करते हुवे दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त किया होने के कारण तभी से इस दिन को जैन समाज द्वारा धन्य तेरस और ध्यान तेरस के नाम से मनाने की परम्परा चली आ रही है।  
लोक मान्यता के अनुसार इस दिन वस्तु खरीदने से उसमें तेरह गुना की वृद्धि होती है, इस कारण इस दिन खरीददारी की जाती है। भगवान धन्वन्तरिजी के अपने हाथ में कलश लेकर प्रकट होने के कारण इस दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा चली आ रही है, इस दिन सोना चांदी की सामग्री भी खरीदी जाती है। कहीं कहीं लोग इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर अपने घर लेकर आते हैं और दीपावली के बाद धनिये के बीजों को अपने बाग बगीचों अथवा अपने खेतों में बोने की भी परंपरा हैं। कही पर इस दिन चांदी के सिक्के खरीदने की परंपरा चली आ रही है तो कही इस दिन दीपावली पर पूजा करने के लिए श्री लक्ष्मी जी और श्री गणेश जी की मूर्ति खरीदी जाती है। इस दिन झाड़ू खरीदने की भी एक परम्परा है इस सम्बंध में मान्यता है कि महालक्ष्मी जी के इस दीपोत्सव पर्व पर झाड़ू खरीदने से लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है, वैसे भी झाड़ू को लक्ष्मी स्वरुप ही माना जाता है। हालाँकि इन सभी परम्पराओं का कोई शास्त्रोक्त प्रमाण तो मिलता नहीं है, बस समय के साथ साथ ये प्रथा बन गई जिसका निर्वाह किया जा रहा है। 

धन तेरस के दिन उत्तम स्वास्थ्य एवं निरोगी काया के लिए भगवान धन्वन्तरि जी की पूजन का विशेष महत्त्व है, उनकी पूजा से परिवार के सभी सदस्यों के स्वस्थ और निरोगी होने का आशीर्वाद भगवान धन्वन्तरि जी प्रदान करते हैं। इसी प्रकार धनतेरस को भगवान यमराज के निमित्त व्रत किया जाता है और संध्या को प्रदोषकाल में दीपदान भी किया जाता है।  ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यमराज के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। यमराज प्रत्येक प्राणी के शुभाशुभ कर्मों के अनुसार गति देने का कार्य तो करते ही हैं साथ ही इस सम्बन्ध में वे त्रुटि रहित व्यवस्था की भी स्थापना करते हैं, इसी कारण उन्हें धर्मराज भी कहा जाता है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का प्रारम्भ भी इसी दिन से होता है, इसी दिन से सभी लोग अपने अपने घरो में दीपक लगा कर प्रकाश करते हैं।  

धनतेरस के दिन दीपदान की जो प्रथा है, उस प्रथा से संबंधित एक लोक कथा भी है। उस कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। प्रभुकृपा से राजा हेम को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। राज ज्योतिषियों ने जब बालक राजकुमार की कुंडली बनाई तो ज्ञात हुआ कि जिस दिन भी बालक राजकुमार का विवाह होगा उसके चार दिनों बाद राजकुमार मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा। राजा को यह जानकर बड़ा ही दुःख हुआ उन्होंने राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ पर किसी स्त्री की परछाई तक उसे ना दिखाई दे किन्तु होनहार तो हो कर ही रहेगी वह टलना तो है नहीं। देवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उस तरफ से गुजरी और दोनों ही एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया। 

विवाह होने के बाद विधि का विधान समक्ष आ गया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ गए।  जब यमदूत राजकुमार के प्राण लेकर जा रहे थे तब राजकुमार की नवविवाहिता पत्नी का करूण  विलाप सुनकर यमदूतों का ह्रदय भी द्रवित हो उठा किन्तु उन्हें तो अपना कार्य करना ही था सो उन्होंने किया। विधि के विधान के अनुसार वे चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे। तब यमदूतों ने यमराज से विनती की कि हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाये।  दूत के अनुरोध पर यमराज बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो प्राणी के कर्मों की गति है किन्तु इससे मुक्ति का एक आसान उपाय है, जो मैं तुम्हे बताता हूँ इससे प्राणियों का कल्याण होगा, तो सुनो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को सूर्यास्त उपरांत जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। 
धनतेरस एवं दीपावली पर्व की आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामना - दुर्गा प्रसाद शर्मा, इंदौर (म.प्र.)        

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