प्राचीन गुरुकुल की शिक्षा और पर्व - आयोजन

प्राचीन समय में गुरुकुल की शिक्षा पद्धति में संस्कारों के अतिरिक्त व्यक्तित्व निर्माण, पूजा उपासना की विभिन्न पद्धति, रीति की महत्वपूर्ण शिक्षा उपासना के उपकरणों के माध्यम से, विभिन्न देवी देवताओं के रहस्य, अवतारों, उनके आयुधों के आधार पर दी जाती थी। हमारे ऋषि मुनियों ने सिर्फ इतना ही नहीं किया बल्कि उन्होंने समाज को उन्नत और सुविकसित बनाने, उसमे सामूहिकता, ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा से कार्य करने, नागरिकता के कर्तव्य एवं दायित्वों के आधार पर परमार्थ परायणता, देशभक्ति और लोकमंगल की प्रेरणा की ऊर्जा प्रदान करने के लिए जिस दूरदर्शी प्रणाली का अविष्कार किया वह प्रणाली है - पर्व - आयोजन।