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छत्रपति शिवाजी महाराज

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। महाराष्ट्र की अहमदनगर सल्तनत में शक्तिशाली सामंत परिवार में जन्में मालोजीराव भोंसले एक प्रभावशाली जनरल रहे होकर उनके पुत्र शहाजीराजे भी बीजापुर सुल्तान के दरबार में काफी प्रभावशाली राजनेता थे। शहाजीराजे का विवाह जाधवराव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली एवं धार्मिक महिला जीजाबाई के साथ सम्पन्न हुआ था तथा इस विवाह से इन दम्पत्ति के यहाँ शिवनेरी दुर्ग में 19 फरवरी 1630 को शिवाजी का जन्म हुआ था, जोकि पश्चात् में छत्रपति हुवे। शिवाजी महाराज का बचपन अपनी माता के मार्गदर्शन में व्यतीत हुआ, उन्होंने राजनीति और युद्ध की शिक्षा प्राप्त की। वे उस कालावधि के वातावरण को भली प्रकार से समझने लगे थे और उनके ह्रदय में स्वाधीनता की ज्वाला भी प्रज्वलित हो गई थी, इसलिए उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का संगठन तैयार किया। उन्हीं छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म जयंती दिवस पर यह 152 वाँ लेखरूपी पुष्प को उन्हें समर्पित है।  

पतितपावनी माता नर्मदा

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। हमारे सनातन धर्म में अनादि काल से नदियों को भी दैवीय रूप से पूजने की परम्परा चली आ रही है।  मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी हमारे देश की सात पवित्र नदियों में से एक और सबसे प्राचीन नदियों में से भी एक मानी जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी का दिन नर्मदा जयंती के रूप में मनाया जाता है। आज हमारे इस 151 वें लेख में पतित पावन नर्मदा नदी के श्री चरणों में समर्पित है। कहा जाता है कि गंगा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों में तो स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है किन्तु नर्मदा नदी के तो दर्शन मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि गंगा नदी में कनखल में स्नान करने पर तथा सरस्वती नदी में कुरुक्षेत्र में जो पुण्य प्राप्त होता है, वह पुण्य नर्मदा में किसी भी स्थान पर स्नान करने पर प्राप्त हो जाता है। नर्मदा नदी ही एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके पत्थर बगैर प्राणप्रतिष्ठा के भी शिवलिंग रुप में पूज्य होते हैं।