महर्षि व्यास और राजा जन्मेजय का प्रसंग - सब कुछ निश्चित है
मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इन्दौर का सादर अभिनन्दन। मानव जन्म लेकर इस धरा पर आये हम लोग परमपिता परमेश्वर की इच्छा और कृपा से ही आये हैं और इस धरा पर मानव जीवन में इस मानव शरीर के माध्यम से हमें कब क्या करना है, यह सब भी पूर्वनिर्धारित होता है। हम इस संसार रूपी रंगमंच के केवल एक कलाकार हैं और हमें यहाँ पर केवल हमारा रोल अदा करना है तथा अपना रोल पूर्ण होने पर यहाँ से चले जाना है। हमारे जीवन में नित्य प्रतिदिन कोई न कोई घटना आदि घटित होती ही रहती है, जिन्हें होनी अनहोनी भी कहा जाता है। यह सभी घटनाऐं हमारे भाग्य और प्रारब्ध पर आधारित होती है। कई बार ऐसी होनी अनहोनी के सम्बन्ध में हमें स्वयं भी आभास हो जाता है अथवा किसी माध्यम से हमें अलर्ट भी किया जाता है ताकि हम संभल सकें, किन्तु कई बार हमारा अभिमान, हठधर्मिता के कारण भी हम उन घटनाओं का प्रभाव कम कर पाने या उनका उपचार करने में असमर्थ हो जाते हैं। घटनाऐं तो होना निश्चित है किन्तु प्रभाव को कम किये जाने का प्रयास तो किया ही जा सकता है जैसे कहा जाता है कि तलवार की चोट सुई सी चोट पर निकल गई। इ...