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नव निधियाँ

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। मानव जीवन में सुख, सम्पत्ति, यश, वैभव, ऐश्वर्य आदि की उपलब्धि मानव की मेहनत से कहीं अधिक भाग्य और प्रारब्ध पर निर्भर करती है।  प्रायः हम देखते हैं कि कुछ लोगों को काफी अल्प प्रयास करने पर भी काफी कुछ मिल जाता है तो कई ऐसे भी लोग देखने को मिल जायेंगे, जो काफी मेहनत करने के बाद भी अपनी गुजर बसर बड़ी ही मुश्किल से कर पाते हैं। मानव जीवन में तीन गुणों का प्रभाव होता है - सत्व गुण,  रज गुण और तम गुण और इन तीनों गुणों के आधार पर ही मानव के भाग्य और प्रारब्ध का निर्माण होता है जिसके अनुसार ही मानव को अपने जीवन काल में सुख दुःख सम्पत्ति, यश, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही इनके उपयोग उपभोग की अवधि का भी निर्धारण होता है। सुख सम्पत्ति के उपयोग और उपभोग की प्राप्ति और उसकी भोग अवधि को निधियों के रूप में हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।  

रानी वेलू नचियार

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। सन 1857 की क्रांति को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है किन्तु भारतीय इतिहास में इसके पहले भी कई राजा और सम्राट हुवे हैं, जिन्होंने विदेशी ताकतों को हमारे देश में आसानी से पाँव ज़माने नहीं दिए थे। भारत भूमि पर अनेक वीरांगनाओं ने भी जन्म लिया और फिर देश की रक्षा के लिए हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। रानी वेलू नचियार भी ऐसी ही एक वीरांगना थी, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थी, जिन्होंने रानी लक्ष्मी बाई के भी बहुत पहले ईरानी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हथियार उठाये थे। रानी वेलू नचियार ने तमिलनाडु के शिवगंगई क्षेत्र में जन्म लिया था और विदेशी आक्रांताओं से लोहा लेकर उनको नाकों चने चबवा दिए थे। तमिल क्षेत्र में उन्हें वीरमंगाई अर्थात बहादुर महिला के नाम से सम्बोधित किया जाता है।