ऋषि पंचमी

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के रूप में मनाया जाने वाला पर्व महिलाओं के लिए अटल सौभाग्यवती व्रत माना जाता है, इस दिन स्त्रियाँ सप्तऋषियों के सम्मान और रजस्वला दोष से शुद्धि के लिए उपवास रखकर पूजन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि महिलाओं की माहवारी के समय अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उनसे होने वाले दोषों के शमन के लिए और उन दोषों की मुक्ति के लिए इस व्रत को किया जाता है। समस्त पापों को नष्ट कर देने वाले इस व्रत के दिन किसी देवी देवता का पूजन नहीं किया जाता है बल्कि इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुवे सप्तऋषियों की पूजा की जाती है। इसे भाई पंचमी भी कहा जाता है, कई लोग इसी दिन राखी का त्यौहार भी मानते हैं। इस दिन माता अरुंधति के साथ सप्तऋषियों की पारम्परिक पूजा होती है और इस दिन मोरधन का आहार ही लिया जाता है। दक्षिण भारत के कुछ स्थानों में इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी का पूजन किया जाता है।