Posts

Showing posts from July, 2022

काशी पुरी स्वामिनी माता अन्नपूर्णा देवी

Image
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण वल्ल्भे, ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थ भिक्षां देहि च पार्वती ।।  अन्नपूर्णा देवी सनातन धर्म में विशेष रूप से पूजनीय हैं, इन्हें माँ जगदम्बा का ही एक रूप माना जाता है, जिनके द्वारा सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है। समस्त जीवों के भरण पोषण की अधिष्ठात्री माता अन्नपूर्णा को सकल जगत की पालनकर्ता माना जाता है, अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है धान्य अर्थात अन्न की अधिष्ठात्री।  सनातन धर्म की मांन्यता है कि प्राणियों को भोजन माँ अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है। सम्पूर्ण विश्व के अधिपति भगवान विश्वनाथ जी की अर्धांगिनी करुणा मूर्ति देवी पार्वती ही अन्नपूर्णा स्वरुप में समस्त जीवों का बिना किसी भेद भाव के भरण पोषण करती है।  जो भी भक्ति भाव के साथ इन वात्सलयमयी माता का आव्हान करता है, माता अन्नपूर्णा उसके यहाँ सूक्ष्म रूप से वास करती है तथा उसे भोग के साथ साथ मोक्ष भी प्रदान करती है।     

वनवासी क्रांतिकारी बुधु भगत

Image
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में प्राणो की आहूति देने वाले वीर शहीदों में कुछ नाम तो भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हुवे हैं किन्तु कई ऐसे नाम भी हैं जो गुमनामी के गर्त में समा गए हैं, इन गुमनाम शहीदों में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनका त्याग, जिनकी आहूति उन कई नामों से अधिक मूल्यवान एवं महत्वपूर्ण रही है जिन्हें इतिहास में जगह मिलती है। इन्हीं में बुधु भगत का नाम प्रसिद्द वनवासी क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है, इनकी लड़ाई अंग्रेजों, जमींदारों तथा साहूकारों द्वारा किये जा रहे अत्याचार और अन्याय के विरूद्ध थी।  कहा जाता है कि बुधु भगत को दैवीय शक्तियां प्राप्त थी और उन शक्तियों के प्रतीकस्वरुप अपने साथ सदैव शस्त्र रखते थे। बुधु भगत का जन्म वर्तमान झारखण्ड राज्य के राँची जिले के सिलांगाई नामक गांव में हुआ था। सामान्यतः सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को ही प्रथम संग्राम माना जाता है किन्तु इसके पहले ही वीर बुधु भगत ने अपने साहस और नेतृत्व क्षमता से सन 1832 में "लरका विद्रोह" के नाम से ऐतिहासिक आंदोलन का सूत्रपात करते हुवे क्रांति का शंखनाद कर दिया था।