महायोद्धा आल्हा और ऊदल

भारत देश में उत्तर क्षेत्र में चंदेल राजवंश के बड़े ही प्रतापी शासक हुवे थे राजा परमर्दीदेव, जिनके राज्य में सेना के सेनापति थे दसराज सिंह और सरदार बछराज सिंह। इन दोनों भाइयों को राजा अपने पुत्र की तरह मानते थे। ऐसा माना जाता है कि दसराज सिंह और सरदार बछराज सिंह के पूर्वज बिहार के निवासी वनाफर (वनों में रहने के कारण वनाफर कहलाये) अहीर संप्रदाय से थे तथा माता शारदा इनकी कुलदेवी रही हैं। उसी कालखंड में ग्वालियर क्षेत्र में हैहय शाखा के यदुवंशी अहीर राजा दलपत सिंह का शासन था, जिनकी पुत्री राजकुमारी देवल के शौर्य की चर्चा सम्पूर्ण मध्य भारत में थी। कहते हैं कि एक बार राजकुमारी देवल ने अपनी शमशीर के एक ही वार से एक सिंह को मार गिराया था, जिस घटना को देखकर दसराज सिंह बहुत प्रभावित हुवे और वे राजकुमारी देवल से विवाह का प्रस्ताव लेकर राजा दलपत सिंह के पास पहुंचे। राजा दलपत सिंह ने भी प्रस्ताव स्वीकार कर दोनों का विवाह कर दिया। इन्हीं दसराज सिंह और देवल को माँ शारदा की कृपा से आल्हा और ऊदल के रूप में दो महावीर पुत्रों की प्राप्ति हुई, जिनके पराक्रम के किस्से आज भी सुनने को मिल जाते हैं।...