भक्त कूबा जी कुम्हार
प्रभु की भक्ति में लीन होकर संसार सागर में रत भक्तों में एक नाम कूबा जी का भी अक्सर लिया जाता रहा है। कूबा जी का जन्म एक छोटे से राजपूताने गांव में हुआ था। कूबा जी जाति से कुम्हार थे और इनका पैतृक काम मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचना था। संतोषी भक्त कूबा जी की पत्नी पूरी देवी भी बड़ी ही धार्मिक और पतिपरायणा थी। दोनों पति पत्नी इतने संतोषी थे कि महीने भर में वे केवल तीस बर्तन बनाकर अपनी जीविका संचालन करते और शेष समय में भगवान का नाम स्मरण करते थे। सुख और दुःख को कर्मो का फल तथा माया का प्रपंच मानते हुवे दोनों पति पत्नी अपनी स्थिति में ही सदैव संतुष्ट रहते थे। मिट्टी के केवल तीस बर्तन बनाकर उससे प्राप्त धन से अपनी जीविका के साथ साथ अतिथि सेवा भी कर दिया करते थे जिससे उनके घर में अन्न वस्त्र की सदैव ही कमी रहा करती थी, किन्तु उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी।