Posts

Showing posts from February, 2021

वीरांगना पन्ना धाय की स्वामीभक्ति

Image
भारतीय इतिहास में महान नारी शक्तियों के कई चरित्र हैं, जिस तरह से चित्तौड़गढ़ के इतिहास में रानी पद्मिनी के जौहर की अमर गाथा के साथ मीराबाई के भक्तिपूर्ण गीत गूंजा करते हैं, वहीं उदयपुर का इतिहास पन्ना धाय के बगैर अधूरा ही है।  पन्ना धाय जैसी महान नारी की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना एक अलग ही स्थान रखती है।  पन्ना धाय किसी राज परिवार की सदस्या नहीं थी, अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पित कर देने वाली स्वामीभक्त वीरांगना पन्ना धाय का जन्म एक छोटे से गांव कमेरी में हुआ था।  राणा उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना "धाय माँ" कहलाई थी।  पन्ना का पुत्र चन्दन और राजकुमार उदयसिंह साथ साथ बड़े हुवे थे। राजकुमार उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान ही पाला था।  राजकुमार उदयसिंह की माता रानी कर्मावती के सामूहिक आत्मबलिदान द्वारा स्वर्गारोहण पश्चात् बालक उदयसिंह की परवरिश करने का दायित्व पन्ना ने ही संभाला था और पूरी लगन से बालक उदयसिंह की सुरक्षा करते हुवे परवरिश की थी। मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौ...

पाटण की रानी साहिबा रूदाबाई जी

Image
हमारा भारत देश जहाँ प्राचीन राजे रजवाड़ों की वीरता के लिए प्रसिद्द है वहीं पर यहाँ की वीरांगनाओं के किस्से भी कम नहीं हैं, एक से बढ़कर एक अनगिनत वीरांगनाओं की कहानी हमारे इतिहास के पन्नों में दर्ज है, जिनकी वीरता, बुद्धिमानी, युद्ध कौशल के साथ ही प्रशासनिक सामर्थ्य के चर्चे आज भी समय समय पर याद किये जाते हैं । भारत देश के गुजरात में ऐसी ही एक वीरांगना हुई थी पाटण की रानी साहिबा रुदा बाई, जिन्होंने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर उसका दिल निकाल कर कर्णावती शहर के बीचोंबीच टांग दिया था और उसके धड़ से सर अलग करके पाटण राज्य के दरवाजे पर टांग कर यह चेतावनी दी थी कि कोई भी आतताई भारतवर्ष पर या भारत की नारियों पर बुरी नजर डालेगा उसका हाल ठीक नहीं होगा। 

बसंत पंचमी

Image
आँगन  में अम्बुआ बौराया है,  महुए ने जंगल महकाया है,  पलाश पर टेसू दहकाया है, लगता है बसंत आया है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथी को श्री पंचमी और बसंत पंचमी कहा जाता है।  भारतीय सनातन धर्म में इस दिन का धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से काफी महत्त्व है।  सनातन धर्म में इसे एक त्यौहार के  मनाने की परंपरा रही है, जिसका आज भी निर्वाह किया जा रहा है। हमारे यहाँ पुरे वर्ष भर में जो मौसमों और ऋतुओं की व्यवस्थाऍ हैं, उसमें एक बसंत ऋतु का अपना अलग ही महत्त्व है।  बसंत का मौसम सभी जनमानस का अति मनचाहा मौसम होता है।