अवधूत श्री दत्तात्रेय स्वामी एवं उनकी शिक्षा

अवधूत श्री दत्तात्रेय स्वामी जी श्री अत्रि ऋषि एवं सती अनसूया जी के पुत्र और भगवान विष्णु जी के अंश से अवतीर्ण हुवे थे। श्री दत्तात्रेय स्वामी जी का गुजरात में गिरनार पर्वत पर विष्णुपद आश्रम प्रसिद्द है। गिरनार पर्वत के अलावा भी कई स्थानों पर श्री दत्तात्रेय स्वामी जी के आश्रम एवं पादुका स्थान प्रसिद्द हैं, जिनमे गांगनापुर, माहुर, मणिकर्णिका घाट, कोल्हापुर, बांगर आदि स्थान हैं। मार्गशीर्ष (अगहन) माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान श्री दत्तात्रेय स्वामी जी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। श्रीमद भागवत में परम धार्मिक राजा यदु के वृतान्त से दत्तात्रेय स्वामी जी के शिक्षा ग्रहण करने का जो उल्लेख मिलता है उससे यह प्रमाणित होता है कि गुरु सिर्फ मानवदेहधारी ही नहीं हो सकता है अपितु शिक्षा मानवदेहधारियों के अलावा पशु पक्षियों और कीट पतंगों से भी ग्रहण की जा सकती है। भगवान श्री दत्तात्रेय स्वामी जी ने इसी प्रकार से चौबीस पृथक पृथक गुरु बनाकर उनसे शिक्षा प्राप्त की थी।