गुरु श्री अंगद देव जी

परमपूज्य श्री गुरु नानक देव जी के पश्चात् सिखमत के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी हुवे थे, जिन्हें द्वितीय नानक भी कहा जाता है। गुरुदेव अंगद देव जी का पूर्व नाम लहणा जी था। लहणा जी का जन्म पंजाब के फिरोजपुर के हरिके गांव में हुआ था। भत्ते की सराह नामक स्थान इनका पैतृक स्थान कहा जाता है। गुरु अंगद देव जी के पिता फेरुमल जी खत्री और माता दया कुंवरि थे। लहणा जी का विवाह संघर गाँव निवासी देवीचंद जी खत्री की सुपुत्री बीबी खिबीजी के साथ संपन्न हुआ था। लहणा जी के दो पुत्र दासुजी और दातुजी तथा दो पुत्रियां बीबी अमरोजी और बीबी अनोखी जी थे। मुग़ल शासक बाबर द्वारा हमले के समय भत्ते की सराह भी लूट ली गई होने के बाद लहणा जी ने भी अपना निवास स्थान भत्ते की सराह से हटा कर खडूर साहब को बना लिया था। पिता के देहांत के बाद पिता के समस्त कारोबार का भार और जिम्मा लहणा जी पर आ गया था किन्तु उन्होंने भी अपने पिता के उस कारोबार को बड़ी ही जिम्मेदारी से अच्छे तरीके से संभाल लिया था। उनकी ईमानदारी और सच्चाई के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे और उन पर अटूट विश्वास भी करते थे। ...