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वीरांगना राजकुमारी कार्विका

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन।   इस बेबसाइट पर यह 130 वाँ लेख आपके समक्ष प्रस्तुत है।   हमारे देश में कई वीरांगनाएं हुई हैं, जिन्होंने कई अविस्मरणीय साहसिक और देश भक्ति से परिपूर्ण कार्य किये और वे उन कार्यों के कारण आज भी स्मरण किये जाने योग्य हैं। वह बात अलग है कि हमारे इतिहास में काफी कुछ खास बताया ही नहीं गया है किंतु आज भी कहीं न कहीं से वे लुप्तप्राय बातें प्रत्यक्ष आ ही जाती है। आज हम छोटे से कठ गणराज्य की उन प्रथम योद्धा वीरांगना राजकुमारी कार्विका की चर्चा कर रहे हैं, जिन्होंने महान कहलाये जाने वाले सिकंदर को परास्त किया था। सिंधु नदी के उत्तर में कठ नाम का छोटा सा राज्य था, जिस राज्य की राजकुमारी थी वीरांगना कार्विका। 

भगवान श्री विष्णु जी के पार्षद जय और विजय का श्रापोद्धार

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मेरा महान देश (विस्मृत संस्कृति से परिचय) में दुर्गा प्रसाद शर्मा, एडवोकेट, इंदौर का सादर अभिनन्दन। हमने अपने धर्मग्रंथों में, धार्मिक कथानकों में देव, दानव, सुर, असुर, मनुष्य, जीव जंतु सहित कई प्राकृतिक वनस्पति, पेड़, पौधे, पर्वत, नदी, सागर इत्यादि को श्रापित होने और उनके श्रापोद्धार  के बारे में पढ़ा और सुना है। आज हम इस लेख में ऐसे ही एक श्राप और उसके श्रापोद्धार के विषय में चर्चा कर रहे हैं और जिस श्राप के विषय में चर्चा कर रहे हैं वह और किसी को नहीं स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु जी के प्रमुख पार्षद जय और विजय को सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार द्वारा उन्हें भगवान के दर्शन लिए जाने से रोकने के कारण दिया गया था। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्माजी द्वारा सप्तऋषियों की उत्पत्ति की, जिनमें से एक महर्षि मरीचि हैं।  महर्षि मरीचि को देवी कला से एक पुत्र उत्पन्न हुवे महर्षि कश्चप और इन्हीं महर्षि कश्चप की 17 पत्नियों से समस्त मानव जातियों की उत्पत्ति हुई है, ऐसी मान्यता है। महर्षि कश्चप की पत्नी अदिति से वरुण का जन्म हुआ तथा वरुण और उनकी पत्नी स्तुत के पुत्र हुवे कलि और वैद्य। जय ...