होलाष्टक
होली का पर्व हमारे धार्मिक पर्वों में से एक पर्व है। होली के इस पर्व को सामान्य रूप से नौ दिवसीय पर्व के रूप में मनाया जाता है, जोकि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ होकर धुलेंडी तक चलता है और इस सम्पूर्ण कालावधि को ही होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। होलाष्टक की कालावधि में शुभ एवं मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार होलाष्टक की कालावधि में कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य करने से उनमें विघ्न बाधाऐ आने की संभावनाएँ अधिक रहती हैं उसी प्रकार से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया है कि इस कालावधि में अधिकांश ग्रह उग्र स्वरुप में रहते होने से शुभ कार्यों को निषेधित किया गया है। मान्यता यह भी है कि होलाष्टक की इस कालावधि में अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी तिथि को शनि, एकादशी तिथि को शुक्र, द्वादशी तिथि को गुरु, त्रयोदशी तिथि को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा तिथि को राहु-केतु उग्र रहते हैं, इस कारण इनके विपरीत प्रभाव से बचने के लिए शुभ व मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।